Loading...

विज्ञान कहता है कि एक पेड़ की कोई दो पत्तियां भी एक जैसी नहीं होतीं। उसी तरह बच्चे परिवार के हों या समाज के, उनका स्वभाव और व्यक्तित्व भी अलग-अलग ही होता है। कुछ निर्भीक होते हैं तो कुछ डरपोक, कुछ चुप्पे तो कुछ साहसी। ये बच्चे ज्यों-ज्यों बड़े होते हैं , उनके नियमित विकास के साथ उनके डर भी पैदा होते रहते हैं। डर एक नकारात्मक भावना है। दूसरे शब्दों में कहें तो डर एक संभावित खतरे के लिए एक सहज प्रतिक्रिया है, जो हमेशा अनुकूल नहीं होती है। यह कई रूपों में प्रकट होता है। भय मन की वह दशा है जिसमें बच्चा किसी काल्पनिक परिस्थिति से डरा रहता है। वह डर जन्म से न होकर वातावरण पर आधारित होता है। एक रिसर्च के मुताबिक 6 से12 साल की उम्र के 43% बच्चों में कई डर और चिंताएँ होती हैं जैसे अँधेरे का डर, अकेलेपन का डर, आग या ऊँचे स्थानों का डर आदि।

एकलव्य के द्वारा प्रकाशित, मंजरी सिंह लिखित एवं प्रशांत सोनी के चित्रों से सजी चित्र पुस्तक ‘छुटकी और चीरो’ बच्चों के इसी डर की कहानी बयाँ करती है। कहानी की मुख्य पात्र छुटकी को अँधेरे से डर लगता है। सोने के समय वह माँ के पीछे छिप जाती है। माँ उसे प्यार से समझती है। नहीं डरने को कहती है। साथ ही यह बताती है कि रात के अँधेरे में एक परी तुमसे मिलने आयेगे। छुटकी हर रात, टॉर्च की सहायता से परी ढूँढने की कोशिश करती है। एक रात उसे चीरो मिलता है, जो एक चमगादड़ है। वह रोशनी से डरता है। दोनों की मुलाकात अपने-अपने डरों के साथ होती है। वे अपने डर साझा करते हैं। छुटकी प्यार से चीरो का डर सुनती है। उसे समझाती है, सहज बनाती है कि डरने की कोई जरूरत नहीं। फिर अलग-अलग डर वाले दोनों दोस्त बन जाते हैं। किसी भी डर को मन के अन्दर न रखकर उसे साझा किए जाने की बात यह किताब मुखरता से करती है।

किसी भी बात को प्यार से सिखाना जिंदगी में बहुत सी चीजों का बुनियादी आधार है। ज्यादा से ज्यादा चीजों का अनुभव डर ख़त्म करने में मददगार होता है। पानी से डरने वाले को पानी में स्वीमिंग करना सिखाकर उसके डर को दूर किया जा सकता है।  इससे कौशल विकास के साथ आत्मिविश्वास भी आता है।

“समस्याओं का सामना करो” वाली बात को मंजरी सिंह ने इस चित्र पुस्तक में बताने की कोशिश की है। प्रशांत सोनी का आकर्षक, चित्रांकन मनोभावों को पकड़ने में सफल रहा है। उनके काला-सफ़ेद और अन्य गहरे रंगों के सजगता से प्रयोग ने इस पुस्तक के प्रभाव को भरसक सजीवता प्रदान की है।

इस किताब के अंत में कुछ खुले सवाल भी हैं जो पाठक/बच्चों की कल्पनाशीलता और तर्क आधारित हैं, इन सवालों का उपयोग कहानी को पढ़ने के बाद बातचीत करने के लिए किया जा सकता है।

jamlowalks

When ‘Jamlo Walks’ with Children

Chandrika Kumar, …yr old, from a village in Okra, Khunti district of Jharkhand, shared her response after listening to ‘Jamlo Walks’…

Divya Tirkey Parag Reads 04 Nov 20201